अयोध्या में होली : चहुं दिसि बरसे राम रस
कुछ दिनों बाद होली है अयोध्यावासी हूं तो सोचा अवध की होली से जुडी कुछ परम्पराओं को आप के साथ साझा किया जाए। वैसे ब्रज की तरह ही अवध की होली का अपना अलग अंदाज है। होली से पूर्व ही चारो ओर फागुनी उल्लास पसर जाता है। अवध के साथ-साथ मिथिला पक्ष की भी उपस्थिति इस लोकोत्सव को नगर में विशिष्ट रंग प्रदान करती है। इस रंग का प्रभाव पूरे पखवारे पूरी प्रगाढता के साथ छाया रहता है। अवध में रघुवीर के होली खेलने का सिलसिला बसंत पंचमी से शुरू हो जाता है। छोटे-बडे मंदिरों में सभी भगवान की मूर्तियों को श्रृंगार के बाद फागुन भर गुलाल अवश्य लगाया जाता है। लेकिन इस सामान्य लोकोपचार से अलग कुछ विशिष्ट परंपराएं भी हैं। जिसमें सगसे प्रमुख स्थान रसिक धारा का है। रस प्रधान यह धारा होली में जानकी जी के पक्ष में रसिया को नारी बनाने में लगी रहती है। इस परम्परा की आचार्यपीठ लक्ष्मणकिला में रूप सखी जी के बसंत बिहार में संकलित पदों का मधुर गान सुना जा सकता है। यहां की भाव भंगिमा में भगवान राम होली खेलने मिथिला आये हुए होते हैं, जिसकी अभिव्यक्ति होरी में आये ससुरारी किसोरी जॅू के सजनवां, से होती है। राम हर्षणकुंज में भी मिथिला की परंपरा से होली मनाई जाती है। यहां रुपकों के माध्यम से
सरयूतट राम खेलें होरी बीच बिराजति जनक नंदनी चहुं दिसि चाल चलैं गोरी
का दृश्य उपस्थित किया जाता है। अवध व मिथिला से जुडे हरेरी पदों का नियमित गान और फूल और अबीर गुलाल एक दूसरे पर डाले जाते हैं। होली पर प्रभु को मालपुवा व तसमई का भोग लगता हे। रामानन्दी सम्प्रदाय के प्रमुख केन्द्र रामबल्लभाकुंज में रंगीले रंगमहल में खेली रहे दोउ फाग दशरथ सुत अरु जनकनंदनी उमगि-उमगि अनुराग–जैसे गीतों का स्वर गुंजता है। यहां अवधि परंपरा के तहत प्रभु की ओर से सभी पर पुष्प व अबीर गुलाल डाला जाता है। पदों में सस्वर गान वातावरण को आन्दातिरेक से भर देते हैं। होली खेलने में रामभक्त हनुमान भी पीछे नहीं रहते। रंगभरी एकादशी को हनुमान जी के निशान के साथ नागाओं की फौज निकलकर अयोध्या की परिक्रमा करती है। अबीर गुलाल उठाते इस साधु समाज के साथ पूरे नगर पर फागुन के रंग छा जाते हैं, हनुमानजी का इस अवधि में अबीर गुलाल से विशेष श्रृंगार किया जाता है। इस तरह अवध के मंदिरों से उठने वाली होली का यह उल्लास घर-घर और गली-गली में मुखरित दिखाई पडता है। इस उल्लास में प्रत्येक पुरुष भगवान राम व नारी माता जानकी का प्रतिनिधित्व करते है। सब की बस यही कामना होती है कि फागुन यह आनंद हमारे द्वार हमेशा बना रहे।
क्यों है न अवध की होली कुछ खास
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