मेरा ये लेख समर्पित है उन पतियों को जो सास-बहू वाले नाटक के चक्कर में रोज खाना मांगने पर अपनी पत्नी से खाने के बजाए मुंह की खाते हैं। अजीब टेंशन दे दिया है भाई इन टीवी सीरियलों ने। क्या मजाल की जब तक तुलसी और मिहीर स्क्रिन पर है और आप की भी मनसा पूरी हो जाए। ये मिहीर भी है मर कर बार-बार जिंदा हो जाता है और पतियों के उम्मीद का गला घोट देता है। अब कसौटी जिन्दगी की वाली प्रेरणा को ही ले लीजिए एक करवा चौथ अनुराग बासु के साथ मनाया तो दूसरा मिस्टर बजाज के साथ। जाने कौन सा संदेश देना चाहती हैं। ये ही जाने लेकिन करोडो बीबियों ने इन्हें ही अपना फेवरेट माना है। याद आता है, जरा सुनिएगा एक बार कसौटी जिन्दगी की में मिहीर मरा, अरे भाई मिहीर के मरने पर तुलसी क्या उसकी पत्नी क्यो रोई होगी, जितना हमारे मित्र सुधाकर की पत्नी ने आंसू बहा डाले, इत्फाक से उस दिन मै दुर्भाग्य से वहीं बैठा था। नाटक शुरू होने पर चाय की इच्छा जाहिर की थी, जो नाटक खत्म होने के बाद मिली। बिचारी भाभी जी बडे दुखी मन से चाय लाई और बोली , अब तुलसी क्या होगा। सुधाकर आग बबुला हो रहा था पर क्या करता आखिर नारी है अपराजिता। अकेला सुधाकर नहीं बल्कि ऐसे करोडो पति हैं जो ऐसी मनोदशा से जूझ रहे हैं। एकता कपूर और उन निर्मातओं से गुजारिश है कि पतियों पर तरस खाओं। आप ने तो इनकी बैंड बजा दी है। घरवालियों का व्यवहार आप के नाटकों पर निर्भर करता है। इस लिए कुछ तो कृपा करो। तुलसी और प्रेणा से क्या प्रेरणा मिलेगी यह तो आप भी जानते हो, इनके अपने घर में सभी दो-दो पतियों वाली हैं कम से कम दूसरों की गृहस्थी का तो ख्याल करिए। बेचारे पति देव थक हार कर जब घर पहुंचते हैं तो गृहस्थी पर चर्चा से पहले प्रेरणा अनुराग की लाइफ पर डिसकस करनी पडती है। टीवी पर ऐसे नाटक आ रहे हो तो बीबी से हमदर्दी की उम्मीद भी मत रखिएगा। आप ने खाना खाया या नहीं ये उस समय दोयत दर्जे की बात हो जाती है जब टीवी पर सास-बहू वाले नाटक आते रहते हैं। प्राथमिकता तो यह रहती है कि कहीं एक भी सीन छूट न जाए। यह सब नाटक देखने तक ही सीमित रहता तो भी ठीक था। दूसरे दिन बीवियां जब यही सब पडोस की महिला को बता रही होती है और बीच में आप अपनी मर्जी लेकर पहुंच जाते है तो उनका मुंह देखने लायक होता है। ऐसे सीरियल बनाने वालों से यही निवेदन है कि मालिक करोडो पतियों की संवेदानाओं को सुनिए ऐसा कोई उपाय बताईये की बीवियां आप का नाटक देखने के बाद तो कम से कम गृहस्थी के बारे में सोचे। क्योंकि सुबह जागने से लेकर शाम के सोने तक महिलाए पतियों के विषय में कम और मिस्टर बजाज, अनुराग बासू, मिहीर की गृहस्थी को लेकर ज्यादा चिंतित रहती है।
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